उत्तराखंड

बगैर स्त्री रोग विशेषज्ञ के संचालित हो रहे अल्मोड़ा के नौ सीएचसी

अल्मोड़ा। जिले के नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) लंबे समय से स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहे हैं। इस वजह से गर्भवती महिलाओं और प्रसव पीड़िताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सामान्य जांच तक के लिए उन्हें जिला अस्पताल, बेस अस्पताल या फिर महानगरों का रुख करना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं के दावे बनाम हकीकत

स्वास्थ्य विभाग मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के दावे करता है, लेकिन जिले के किसी भी सीएचसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ तैनात नहीं है।

  • गर्भवती महिलाओं को सामान्य जांच या प्रसव के लिए भी कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है।
  • कई बार समय पर इलाज न मिलने से जच्चा-बच्चा की जान पर खतरा तक बन जाता है।

योजनाओं का असर सीमित

सरकार प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजना और जननी एवं बाल सुरक्षा योजना जैसी योजनाएं चला रही है। इनका उद्देश्य मातृ-शिशु को उचित देखभाल और सुविधाएं देना है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी इन योजनाओं के प्रभाव को सीमित कर रही है।

315 गर्भवतियों को रेफर

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में जिले के सीएचसी से 315 गर्भवती महिलाओं को हायर सेंटर रेफर किया गया। यह दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हैं।

सीएमओ का बयान

डॉ. नवीन तिवारी, मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) अल्मोड़ा ने कहा—

“जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है। खाली पदों को भरने के लिए समय-समय पर शासन को पत्र भेजे जाते हैं।”

 

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