दिव्यांगों का मुख्यमंत्री आवास कूच, पुलिस से झड़प के बाद कई लोग हिरासत में

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सोमवार को दिव्यांगजनों ने अपनी मांगों को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया। प्रदेशभर से आए दिव्यांगों ने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच नोकझोंक हुई। पुलिस ने कई दिव्यांगों को हिरासत में लिया।
क्या हैं दिव्यांगों की प्रमुख मांगे?
प्रदर्शनकारी दिव्यांगों ने सरकार के सामने कई अहम मांगें रखीं। इनमें प्रमुख थीं—
- पेंशन बढ़ाकर 1500 रुपये से 5000 रुपये प्रतिमाह करना।
- बिना ब्याज के लोन उपलब्ध कराना।
- रोजगार की गारंटी और रोजगारपरक योजनाओं में प्राथमिकता।
- दिव्यांग कल्याण बोर्ड को अधिक अधिकार और बजट देना।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वर्तमान पेंशन से उनका गुजर-बसर संभव नहीं है। महंगाई के इस दौर में 1500 रुपये बेहद कम हैं और सरकार को इसे बढ़ाकर कम से कम 5000 रुपये करना चाहिए। साथ ही, स्वरोजगार के लिए उन्हें बिना ब्याज ऋण की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।
पुलिस ने रोका, फिर भी पहुंचे मुख्यमंत्री आवास तक
जानकारी के अनुसार, दिव्यांगों का यह कूच पहले ही प्रशासन की नजर में था। पुलिस ने उन्हें हाथीबड़कला क्षेत्र में रोकने की कोशिश की, लेकिन दिव्यांगजनों ने बैरिकेड तोड़ दिए और मुख्यमंत्री आवास तक पहुंच गए। वहां उन्होंने जोरदार नारेबाजी और धरना-प्रदर्शन किया।
अधिकारियों ने मनाने की कोशिश
हालात बिगड़ते देख एसएसपी अजय सिंह और सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने दिव्यांगों से वार्ता कर शांतिपूर्वक प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। अंततः पुलिस ने उन्हें मुख्यमंत्री आवास के सामने से हटाकर हिरासत में ले लिया।
प्रदेशभर से जुटे दिव्यांग संगठन
इस प्रदर्शन में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों—हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, नैनीताल समेत कई स्थानों से दिव्यांगजन शामिल हुए। विभिन्न दिव्यांग संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया और सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
सरकार पर गंभीर आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार दिव्यांगों के लिए योजनाएं तो बनाती है, लेकिन उनका सही क्रियान्वयन नहीं हो पाता। कई लाभार्थी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं और रोजगार के अवसर बेहद सीमित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार केवल घोषणाएं करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर दिव्यांगों की हालत नहीं सुधर रही है।