देहरादून में दशहरे की धूम: असम के बांस और सूरत की वेशभूषा से सजेंगे रावण के पुतले

देहरादून। राजधानी दून में दशहरे की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। इस बार का उत्सव कई मायनों में खास रहने वाला है। शहर के अलग-अलग मैदानों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। पटेलनगर में पिछले 25 वर्षों से रावण के पुतले बनाने वाले मुजफ्फरनगर के कारीगर शालू और उनकी टीम इस बार भी खास तैयारी में जुटी है।
सूरत से आई वेशभूषा, असम से आया बांस
कारीगर शालू ने बताया कि रावण के पुतले को आकर्षक बनाने के लिए इस बार विशेष वेशभूषा सूरत से मंगाई गई है। वहीं, पुतलों की मजबूती और लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रखने के लिए असम से बांस मंगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि बांस की कीमत इस बार 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिससे लागत भी बढ़ी है।
25 से 60 फीट ऊंचे पुतले
शालू और उनकी टीम 25 फीट से लेकर 60 फीट ऊंचाई तक के पुतले तैयार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पुतले बनाने की लागत 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक आती है, जो उनके आकार और सजावट पर निर्भर करती है।
गणेश उत्सव के बाद नवरात्र और दशहरा
गणेशोत्सव के बाद अब बाजारों में नवरात्र और दशहरे की रौनक देखी जा रही है। जगह-जगह सजावटी सामान और पूजा सामग्री की दुकानें सज गई हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को दशहरे का बेसब्री से इंतजार है।
मौसम की चुनौती भी बनी चिंता
उधर, उत्तराखंड मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। ऐसे में पुतलों को सुरक्षित रखने और समय पर तैयार करने में कारीगरों को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है।
25 साल से निभा रहे परंपरा
कारीगर शालू और उनकी टीम ने बताया कि वह पिछले ढाई दशक से देहरादून में दशहरे के पुतले बनाने आ रहे हैं। स्थानीय लोगों और आयोजकों की मांग को देखते हुए हर साल वे नए डिजाइन और आकर्षक सजावट पर काम करते हैं, ताकि रावण दहन का दृश्य और भी भव्य हो सके।